सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
सहस कमल में हो रहे धारी। कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥
भगवान शिव का प्रिय फूल कनेर का पुष्प माना जाता है, मान्यता है की भगवान शिव की पूजा में इस पुष्प के चढाने पर सभी मनोकामनये जल्दी पूर्ण होती है।
गले रुण्डमालं तनौ सर्पजालं महाकालकालं गणेशाधिपालम् ।
अर्थ- हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस here है, आकर मेरे संकटों को हर लो।
शिव आरती
कहे अयोध्या आस तुम्हारी। जानि सकल दुःख हरहु हमारी॥
श्रीरामचरितमानस धर्म संग्रह धर्म-संसार एकादशी
आज के युग में शिव चालीसा पाठ व्यक्ति के जीवन के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। शिव चालीसा लिरिक्स की सरल भाषा के मध्यम भगवान शिव को आसानी से प्रसन्न किया जा सकता है।
अर्थ: हे शिव शंकर आप तो संकटों का नाश करने वाले हो, भक्तों का कल्याण व बाधाओं को दूर करने वाले हो योगी यति ऋषि मुनि सभी आपका ध्यान लगाते हैं। शारद नारद सभी आपको शीश नवाते हैं।
जय सन्तोषी मात अनूपम। शान्ति दायिनी रूप मनोरम॥ सुन्दर वरण चतुर्भुज रूपा। वेश मनोहर ललित अनुपा॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥